The 5-Second Trick For moral story
The 5-Second Trick For moral story
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उसने किसान को धमका कर कहा, बक्सा जिस भूमि से मिला से है, वह मेरी जमींदारी में आती है। इसलिए बता उस बक्से पर किसका अधिकार बनता है। किसान बोला, यह ठीक है हुजूर की यह भूमि आपकी जमींदारी पर आती है। पर बक्सा जिस खेत से निकला है, उस पर मैं खेती करता हूं। अतः इस बक्से पर मेरा अधिकार बनता है।
पत्नी की बातो को सुनकर किसान मन ही मन खुद को और अपने भाग्य को कोसता रहता था की न जाने कब उसके किस्मत के भाग्य बदलेगे
जिससे गरीब किसान के दान की बात धीरे धीरे दूर दूर तक फैलने लगी थी फिर धीरे बड़े बड़े नगरो के सेठ साहूकार, व्यापारी, राजदरबारी जो कोई भी उस गाँव से गुजरता उस किसान के यहा ही भोजन करता और बदले में किसान को इस महान कार्य के लिए ढेर सारा धन भी देते जाते थे जिससे धीरे धीरे गरीब किसान मिले पैसो से अमीर होने लगा और अब एक गाय के बदले कई ढेर सारे गाय खरीद लाये और अपने भोजन कार्य को भी बढ़ाने लगा,
दोस्तों इस खूबसूरत कहानी से हमें कई पाठ सीखने के लिए मिलते हैं।
कुछ समय बाद मदन के पिताजी उनसे मिलने शहर आए।
रामलाल की बुद्धिमत्ता और नवाचार गांव के सभी किसानों को प्रेरित करती थी। वह दिखा रहा था कि विचारशीलता और कुशलता की मदद से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
हमारे समाज में ऐसे अनेक महापुरुषों के उदहारण मिल जायेगे तो की इस समाज के लिए जिये जिस कारण से उन्हें हर कोई जानता है जो सिर्फ अपने लिए जीते है वे अपने जीवन को एक निश्चित ही दायरे में जिक्र चले जाते है फिर उनके बाद उन्हें कोई नही याद करता जबकि जो लोग समाज के लिए जीते है वे इतिहास बनाकर भले ही इस दुनिया से चले जाते हो लेकिन वे हमेसा ही सबके लिए में याद रहते है,
मनोरम नामक वन में एक बहुत ही सुंदर बड़ा सा तालाब था। तालाब चारों ओर से सुंदर-सुंदर वृक्षों वह फूल-पौधों से घिरा हुआ था। तालाब के भीतर मखाने वह सिंघाड़े के पौधे लगे हुए थे। तलाब में सदैव पानी की मात्रा बनी रहती थी, क्योंकि उसके निकट से एक स्वच्छ कल-कल धारा वाली नदी प्रवाहित होती थी। एक समय की बात है दो मछुआरे मनोरम वन में विश्राम कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा उस तालाब में खूब सारी मछलियां उपलब्ध है।
वह बहुत परेशान हो गया। वह सोचने लगा कि अब वह अपने परिवार का गुजारा कैसे करेगा।
उन्होंने सोचा कि अब मैं दूसरे लोगों को क्या बताऊंगा कि मेरा बेटा एक भी विषय में पास नहीं हो पाया। इस प्रकार माँ-पिताजी को श्याम ने बहुत चिंतित वह दुखी देखा जिस पर उसे भी दुख हुआ। श्याम ने अपने मां-बाप को भरोसा दिलाया कि मैं अगली परीक्षा में सफल होकर दिखायेगा।
रमेश बहुत ही प्यारा बालक था। वह कक्षा दूसरी में पढ़ता। रमेश विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार मनाया जाने वाला था। रमेश बहुत उत्साहित था इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए। रमेश को उसकी कक्षा अध्यापिका ने स्वतंत्रता दिवस की परेड में भाग लेने के लिए बोला था। उसके हर्ष का कोई ठिकाना नहीं था, वह खुशी-खुशी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयारियां करने लगा।
और इसलिए, गरीब किसान गोपी की कहानी, जो कभी धन और अहंकार से अंधा हो गया था, विनम्रता, कृतज्ञता और स्थायी साहस की एक कालजयी कहानी बन गई।
राम ने इस बार भी और बार की तरह प्रथम स्थान प्राप्त किया।
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